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भारतेर संविधान आण गोरमाटी बोलीभाषा


 काकडवांदा

भारतीय संविधान आन् गोरमाटी बोलीभाषा भारतीय संविधान जू बोलीभाषा आन् धाटीनं संरक्षण देयेर हमी दच् जू कुणसीज धर्मराष्ट्र दे सकेनी. 

              'नाना भाषाश्च भारत'ई भारतेर प्राचीन ओळख फगत भारतीय संविधानज जतन करन रकाड सकच्;करनज भारतीय संविधानेनं जतन करन रकाडेर आपण से भाषिक समाजेर,विशेषतः बोलीभाषक गणसमाजेर सामुहिक जबाबदारी ठरच्...! 

        घटना अनुच्छेद १,कच् क्,'इंडिया कतोज भारत संघराज्य रीये'. 

           union of state's हानू भारतेर संविधानिक ओळख छ.

        घटना बदले सवायी भारत कुणसी एक धर्म आन् एक भाषारो राष्ट्र घोषित वे सकेनी.ई घटनात्मक तरतूद घण मोलेर छ. 

             संविधान कलम ३६८ नुसार 'जर संसदेमं २/३ आन् जुज भारतेमाईर से राज्येमं २/३ बहुमतेरो सरकार रीये तोज घटना बदल सकच्,घटना बदलान नव घटना आमलेमं ला सकच्'.

          भारतेमं हिंदी भाषिक लोकसमुहेर बाद दुसरे नंबरेरो सेती मोटो एक भाषिक गण समाज करन गोरमाटी बोलीभाषक गणसमाजेर कतो बणजारा गणसमाजेर उल्लेख वच्. 

      ई वात धेनेम लेन आतेर प्रस्थापित व्यवस्था २०११ सालेर जनगणनामं गोरमाटी बोलीभाषानं कचरेर ओल्डी दकाळेर कपटी डाव रमे छ. 

            गोरमाटी बोलीभाषारो डाटा न रेयेरयेती गोरमाटी बोलीभाषानं घटनात्मक संरक्षण मळणू ई मांगणी मांगेरो आधेकार भी प्रस्थापित व्यवस्था खोसलीदी छ. 

गोरमाटी बोलीभाषा आन् गोर धाटीर अस्तित्व जर टकान रकाडेर वीये केलं तो राष्ट्रीय पातळीपं गोरमाटी बोलीभाषक गणसमाजेनं (बणजारा) एके धोळे झेंडा हेटं संघटीत वेन आपणे गठ्ठा मतेर धाक निर्माण करणो गरजेर छ. जनाज गोरमाटी बोलीभाषा,धाटीन घटनात्मक संरक्षण आन्  आपणे स्वतंत्र अस्तित्वात जीवनशैलीनं  संविधानिक ओळख  मळातू आयेवाळो छ.

           संविधान जीवतो रीये तोज गोरमाटी बोलीभाषा आन् धाटीरो स्वतंत्र अस्तित्व जीवतो रकाडतू आयेवाळो छ...!!अब की बार,हमारे मत की सरकार..

भीमणीपुत्र मोहन गणुजी नायक

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