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गोरबोली एक स्वतंत्र आदिम बोलीभाषा छ


 *काकडवांदा-*


*गोरमाटी बोलीभाषा ई कुणसीज भाषार उप बोली छेई तो ऊ एक स्वतंत्र आदिम बोलीभाषा छ...!*


*ढाळ...?*


"ढाळ ये गोरमाटी बोलीभाषा सब्देर उत्पतीर जडे भारोपीय भाषामं धूंडे तो भी लाबणो मसकल छ. 

           " स्वन"ई भारोपीय जडेरो(swen) सब्द छ.येर भावकीर सब्द लॅटिन sono,इंग्रजी re - sonete (sound).आसे छ. 

          "ढाळ" ई गोरमाटी बोलीभाषा सब्देरो नातो भारोपीय भाषारे सब्देर भावकीती भी जुळेनी.

           "ढाळ"ये देसी सब्देमं गोरमाटी बोलीभाषार स्वतंत्र अस्तित्व ओळख पटायेर धम्मक छ,आसे कतराक देसी सब्द गोरमाटी बोलीभाषा वेवारेमाईती भुलाडी पडन हद्दपार वेगे छ को;जेरो आनथाव भी लेतू आरो कोनी छ..?. 


*याडी..?*


             भाषा निर्मितीर प्रवासेमाईरो *या/याडी* ई गोरमाटी बोलीभाषा सब्द सदा तत्सम,तद्भव,परभाषिय ये सब्दसिद्धीर परलो देसी सब्द छ.

               याडी ये सब्देरो नातो भाषा वंशगटेर डिलेती दीटे केलं तो संस्कृत,जर्मन,लॅटिन,फारसी आन् आंग्रेजी भाषामाईर सब्देती जूळच् कायी?येर भी सोजा लेणू गरजेर छ. 


याडी - गोरमाटी

मातृ - संस्कृत

मन्तेर - जर्मन

मातेर - लॅटिन

मादर - फारसी

मदर - आंग्रेजी


संस्कृत,जर्मन,लॅटिन,फारसी आन् आंग्रेजी भाषामं भी 'याडी'ये गोरमाटी बोलीभाषा माईर सब्देर उत्पतीर जड लाबेनी आन् कुणसी भी तर्कशुद्ध पद्धतेती संस्कृत,जर्मन,लॅटिन,फारसी आन् आंग्रेजी भाषामाईर 'मातृ,मन्तेर,मातेर,मादर आन् मदर'ये सब्देती 'याडी'ये सब्देरो नातो जुळातू आयेनी.

                करनज 'याडी'ई गोरमाटी बोलीभाषा सब्द देसी ठरच्..!

         "येड > याडी" नू मातृसत्ताक व्यवस्था माईर 'याडी'ये सब्देरो उत्पतीरो प्रवास छ. माचळीर येड आन् खेतीरो सोजा (खाद्यान्न)लगायेवाळ ई पेल स्त्रीज रं ई जगभरेर शास्त्रज्ज्ञ मान्य करच्.

             जेष्ठ संशोधक काॅ.शरद पाटीलेर मतेती ई पेल स्त्री "निऋती" रं. 

         गोरमाटी बोलीभाषक गणसमाजेर गणमाता ई निऋती छ आन् पशुधनेर रक्षण करेवाळ दुसरे नंबरेर मातृदेवता ई सीतळा छ,बाकीरी पाच देवी ये वैयक्तिक स्वरूपेरी छ.

           गोरमाटी बोलीभाषा मौखिक वाङ्मयेमाईर 'नेरती,नीरूडी,नेरतळी'ये नाम 'निऋती वाचक छ. "निऋती राक्षसाची लक्ष्मी तूच आहेस". हानू स्पष्ट कबुली आर्य लोक ऋग्वेदेमं देमेले छ.

          गोरमाटी बोलीभाषक गणसमाजेमं नेरतीर पूजा सालेमं तीनवणा कतो पेल पूजा आसाडेर मुंडेपं,दुसर पूजा दवाळीर मू़डेपं आन् तीसर पूजा होळीर मू़डेपं चांदणेमं करेर वयीवाट छ. येनं 'समनक'कच्.समनक कतो काॅ. शरद पाटीलेर भाषामं "शासन समय करार"वच्.

          नेरती,नीरूडी,नेरतळी आन् याडी माया सगळती आसे संबोधन तांडेपेडेमं आज भी प्रचलित छ.नेरतीर पूजामं सींगेर प्रतिक करन चोकोपं छो सात आंगळेरी दी खेराळीर लकडी मेलते रच्. 

         साम्यवादेर मूळ संकल्पनारी जडे मातृसत्ताक निऋती पूजक गणसमाजी लोक जीवनेरे धाटीमं आज भी जीवती छ.हानू काॅ.शरद पाटील कच्. 

          मार्क्सेर चुकगो जकोण गणीत मार्क्सेर धेनेमं लान देयेवाळो जगेमाईरो पेलो अभ्यासक काॅ.शरद पाटील ठरगो छ. 

           काॅ.शरद पाटील वाचेपं गोर धाटीरी वणान सामगरी मळेर सांगण शक्यता छ. 

         साम्यवाद,स्वच्छंदतावाद,वास्तववाद,कल्पनारम्यवाद ये से संकल्पनारो मायरो ई गोर धाटीज छ...! 

        ई पूरो इतिहास गोरमाटी बोलीभाषा आन् परंपरागत मौखिक सायीत्येमं आज भी जीवतो छ. 

        गोरमाटी बोलीभाषा आन्  धाटी जतन करन ओनं वजाळेमं लाणू ई आपणो घटनात्मक हक्क छ..! 

     गोरमाटी बोलीभाषा आन् परंपरागत मौखिक सायीत्य ई प्राचीन इतिहासेर पूरावेरो एक मौखिक साधन केरावच्..!

            गोरमाटी बोलीभाषा,धाटी ये गोरमाटीर स्वतंत्र अस्तित्वेर एकमेव चित्ताणी छ..!!


संदर्भ-


१, संमेलनाध्यक्षीय भाषण

५ वो अ.भा.गोर बंजारा सायीत्य संमेलन डोंबिवली

२,वाते मु़गा मोलारी भाग २

संपादन- ॲड.चेतन मोहन नायक

३,अब्राह्मणी साहित्य व कलांचे  सौंदर्य शास्त्र 

शरद पाटील्

४, दैत्य बळी व कुंतल देश महाराष्ट्र

डॉ.निरज साळुंखे




             *भीमणीपुत्र*

     *मोहन गणुजी नायक*


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