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सोतार भाषार मोल जाणेवाळो जाणीया:गोतम बूध


 

*काकडवांदा-*


*सोतार भाषार मोल जाणेवाळो जाणीया:गोतम बूध*


             जेनं आपणे सोतार भाषार भूसण छेई,आसेनं तथागत गोतम बूध "मोघमपुरूष"केमेलो छ."मोघ" कतो "व्यर्थ" वच्.संस्कृतेमं भाषांतर करन सीक देयेवाळे भिक्खूनं तथागत गोतम बूध "मोघमपुरूष"करन संबोधमेलो छ. 

          सोतार भाषा छोडन संस्कृत भाषारो आसरो लेणू ई वात भारतीय समाजेमाईर से सामान्य लोकूर नंजरेती "मोघ" ठरच्.ई वात तथागत येमाईती सूचीत करच्. 

            मनक्या आपण सोतार भावना,वचार,गेन,भूमिका येनेनं सोतार भाषा माईती आचे तराती मांड सकच्,ओसोज दुसर भी व्यक्त करं जकोण आपण भावना,गेन वगेरा आपणे सोतार भाषामं रेतो वीये तो ओरो ओनं आचे तराती आकलन वेतो रच्. 

              मनक्या-मनक्यामं नीरदोस आन् आचे आरतेर वातेचीते घडणू ये नंजरेती सोतार भाषा ईज एक आचो माध्यम छ. 

          देवेर भाषा करन वेदेवाळ लोक संस्कृत भाषानं घणो मोटो मानपान मळा दीनेते,ऊ देवेर भाषा रं,कतोज ऊ से सामान्य लोकूर भाषा कोनी रं हानू एक आरत आपोआप मळच्.

            तथागतेनं नूसता मूटीभरे मानपानेवाळे लोकूनं सीक देयेर कोनी रं.से सामान्य लोकूर जीवनेमं आरपार नवो बदल (परिवर्तन) घडान लायेरो ई एक हेतू रं. 

         आसे वकतेपं से सामान्य लोकूर भाषामं सीक दीने केलं तो ऊ ओनेर हीवडानं आन् मातेनं चटको भीडणो शक्य रच्.

        ये से वाते धेनेमं लेनज भाषार बारेमं तथागत ऊपरेर वचारेरो आग्रह करमेलो छ. 

          तथागत गोतम बूध लोकभाषारो मोल जाणतोतो.मानभाव पंतेवाळ भी भाषार बारेमं तथागतेर भूमिका लेतू दकावच्.क्रांतिसिंह सेवादास माराज भी आपणो गेन,बोल,बचन ये से आपणे याडीभाषामज केमेलो छ. 

         सेनं आपणे आपणे भाषार अस्मिता,भूसण रेणू ई तथागत आन् क्रांतिसिंह सेवादास बापूर वचारेमाईती सूचीत वच्. 

           सोता तथागत गोतम बूधेनं गोरमाटी बोलीभाषा आवगत रं ई वात धाडीर एके धणीगोंणार संवादेपरेनं स्पष्ट वच्.से सामान्य लोकूर भाषार आकलन रेये सवायी आपण आपणो गेन,सीक ओनेर ताणू पूचा सकानी ई हेतू येर लार दकावच्. 

          घटनाकार डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर तगात भाषारो मोल जाणतोतो,करनज धाटी आन् भाषार समावेश मूलभूत हक्केमं करन मेलछांडो छ. 

          म तो आतं कीयूं क्,जो कोयी आपणे याडी भाषानं अस्पृश्य समजन ओमं बोलेनं सरमतो वीये तो ओनं भारतीय संविधान कळोज कोनी ई स्पष्ट वच्. 

       जो कोयी आपणे याडीभाषाम बोलेन सरमच्,ओर आतरा बेसरम दुसरो कोयीज वे सकेनी..!! 


टीप :- ई वचार डॉ.आ.ह.साळुंखे सरेर 'सर्वोत्तम भूमिपुत्र:गोतम बुद्ध'ये पुस्तकेमाईर वचारेर लक्ष्यनिष्ठ अनुवाद छ. 


             *भीमणीपुत्र*

     *मोहन गणुजी नायक*

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