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काकडवांदा,लिपी


 

काकडवांदा-*


*याडी भाषाती आपणो पेट पोसायेनी,करन सीकेपडे गोरमाटी आपणे याडी भाषाती बेयीमानी कररे छ.पेटपोसेवाळी मासीयाडीनं मातेपं वटामेले छ.सग याडी मरगी कांयी आन् रेगी कांयी?येर फिकर आजीबाद छेई.*

          *याडी भाषा गोरमाटीती पेट पोसायेनी,मराठी वगैरे स्थानिक भाषामं पेट पोसेर जू धम्मक छ जू गोरमाटी बोली भाषामं छेई ई वात खर छ ढेर;पणन् ऊ एक गोरमाटी बोली भाषिक गणसमाजेर अस्तित्वेर ओळख छ..!*

         *गोरमाटी भाषा छ करनज तो गोरमाटी करन वाजरे छा..!!*


                *भीमणीपुत्र*

         *मोहन गणुजी नायक*

         

 *काकडवांदा-*


*देवनागरी वा दुसरी प्रांतीय लिपी गोरमाटी बोलीभाषानं पोषक रीये कांयी...?*


राष्ट्रीय पातळीपं सकल गोरमाटी बोलिभाषिक गण समाजेनं एक संघ हूबो करेर ताकत देवनागरी लिपिमं छ कांयी? ई एक स्वतंत्र सोजारो आन् चींतनेरो वीषय छ. 

         मराठी,तेलंगी,कानडी,गुजराती आसे प्रांतीय भाषिक समाजेर लोक परस्पर संवाद सादेमं असमर्थ ठरच्,मातरम् गोरमाटी भारतेमं कुणसी भी प्रांतेम जरी वसमेलो वीये तरी ऊ आपणे याडी बोलीमाईती परस्पर संवाद साद सकच्.ई गोरमाटी बोलीभाषारो विशेष छ;पणन् गोरमाटी बोलीभाषा जर प्रांतीय भाषार लिपिमं  बंदीस्त वेगी केलं तो ऊ लिपीबद्ध भाषा एकदुसरेनं वाचतू आणू मसकल रच्.

      देवनागरी लिपीमाईरो भी गोरमाटी बोलीभाषा सायीत्य राष्ट्रीय पातळीपं सकल गोरमाटी बोलिभाषिक गण समाजेनं वाचतू आयेनी. 

        देवनागरी लिपीमाईरो गोरमाटी बोलीभाषा सायीत्य वा भाषा जर राष्ट्रीय पातळीपं सकल गोरमाटीनं एकसंघ हूबो करेम असमर्थ ठरते वीये तो ओनं "गोरमाटी भाषा वा भाषा सायीत्य" केतू आये कांयी? ई प्रश्न हुबो रच्. 

          राष्ट्रीय पातळीपं पंजाबी,गुजराती भाषिक समाज आज एकसंघ छ येरो एकमेव कारण छ ओनेर भाषार स्वतंत्र लिपी...! 

       जेर भाषानं स्वतंत्र लिपी छ ऊ भाषिक समाज आज सेज आघाडामं सेर मोवळेपं छ.येरसारू गोरमाटी बोलीभाषानं ओर मालकीर  स्वतंत्र लिपी रेणू गरजेर छ,ओर सवायी राष्ट्रीय पातळीपं एकसंघ सकल गोरमाटी हूबो करतू आवं कोनी. 

       प्रांतीय लिपीती गोरमाटी अक्षरशत्रू ठररो छ. ई भी आपणेनं भूलतू आवं कोनी. 

           राष्ट्रीय पातळीपं गोरमाटी बोलीभाषारो एक स्वतंत्र लिपीरो अभाव ईज गोरमाटी बोलिभाषिक गण समाजेनं विकरवाकर वेयेनं पोषक ठरगो छ..!!. 


*राष्ट्रीय पातळीपं...*

*एक लिपी;एक भाषा;जात धरमेरो एकज डाटा...*

*गोर..! गोर..!!..गोर..!!!*


*गोरमाटीने केला मराठी,तेलुगू, कानडी,हिंदी भ्रतार;एकाचे उत्तर एका नये...*


          भविष्येमं गोरमाटीर आस गत न् वेणू भा.... 

           का कतो गोरमाटी ई राष्ट्रीय गणसमाजी लोकजीवन छ,प्रांतीय छेई! 


              *भीमणीपुत्र*

    *मोहन गणुजी नायक*

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