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गोर सभ्यता


 *गोर सभ्यता*

गेर याने गैर,गोर बननेके पहिले की स्थिती. दवाळी,सकरात और होळी गेर से याने गैर से गोर बनानेके लिए करते है.गेरीया शब्द  गोरमाटीमे है, गोरी शब्द भी है लेकिन गोरीया शब्द गोरमाटीमे नही है. दवाळीमे छोरी मेरा मांगती है और होळीमे गेरीया गेरणी गेर मांगते है. सकेर रात सकरात के दीन और होळी दवाळी मे कर करते है. 

गोर सभ्यता मे आकाड पूजा,समनक,दसरावेर चोखो पूजा, दवाळी के पहिले दीन कळमावस के दाड वोरी,दवाळीर कर,कोरूर संक्रांत को गोरमाटी सकरात कहते है और सकेर रातके दाड याने सकरात को कर करते है. होळी के पहिले दांडी पूनम को दांडो गाडते है और होळी के दाड धूंड और कर करते है. होळी के पाचमी से वीया वदयी करते है. वीया के पहिले कनासळी,सगायी और गोळ खाते है. वीया मे वेतडू के घर साडी ताणते है मंडेवढो तयार करते है.साडीमे वदायी मे बाप को गरू करके  गरूर  रपीया,साडलो और गोळेर रंगेर रपीया, नवलेरी का जावळेर नारेळ कोतळो मे डालकर वेतडू घरे के बाहर कतो वेतडू को बार काडते है और घोटा घोळते है. गोट करनेके बाद वेतडूका कोतळो नवलेरी के टांढेमे जाता है और समदीर भेट मे वेतडूको वगोते है और हेलेर रपीया कोतळोमे डालके नवलेरीके मांडवामे कोतळो जाता है. हाळदी के बाद वीया बांधते है वीया मे साकीया पुरते है. साकीया मे जावळेर नारेळ, साकेर रपीया,रंगेर रपीया, हेलेर रपीया,गरूर रपीया , येक कोडी और फेरार रपीया रखते है और वीया बांधते है. वीया वेतडू नवलेरी के दददादा, नाननाना, नायक नायकण बांधते है. मूसळ गाडके फेरा फरते है.

गोर सभ्यता और आठरा पगड जातीकी कोर रीवाज मे वैदिक सभ्यता के प्रभावित होनेके कारन भेळभाळ हो गया है. भेळभाळ के रीत का हिंदुत्व करन को हिंदु रीतीरिवाज कहने लगने की वजहसे बंजारा,लंबाडा,लभान,लमानी,सूगाळी, बाजीगर, भाट,ढाडी ढालीया भ्रमित है.

*गोर गोरमाटी सभ्यता का हिंदु, मुस्लिम, यीसाई, सीक, जैन इत्यादी धर्म से कोयी वास्तव नही है क्युं की उपरोक्त रीवाज सबसे अलग पेनेबाज धाटी से प्रेरित है.


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*राधेशाम मोवन बांणोत*

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