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गोर बोली भाषार निर्णय....


 

*काकडवांदा-*


*गोरमाटी बोलीभाषार लिपीरो निर्णय...?*


भाषामं वापरेमं आवं जे ध्वनीसारू भाषा वैज्ञानिक 'स्वनिम',Phoneme,आसे सब्देर स्वतंत्र उपयोजन करमेले छ.जुज गोरमाटी बोलीभाषा वेवारेमं 'स्वनिम',Phoneme'ये सब्देसारू *ढाळ* ई गोरमाटी बोलीभाषारो स्वतंत्र मालकीरो सब्द अस्तित्वेम छ.'स्वनिम', Phoneme कतो ध्वनी वेयेनी ई निकष गोरमाटी बोलीभाषा वेवारेमाईर "ढाळ" ये सब्देनं भी तंतोतंत लागू पडच्.गोरमाटी बोलीभाषार लिपी मान्य करतूवणा गोरमाटी बोलीभाषारो ई भाषाविज्ञान भी धेनेमं लेणू गरजेर रच्. 

          *ढाळ* ये गोरमाटी बोलीभाषा सब्देनं 'स्वनिम' Phoneme ये संस्कृत,इंग्रजी सब्द छोडन जगेर पुटेपरेरी दुसरी कुणसीज भाषामं पर्यायी सब्द आढळ आणो मसकल छ,ई गोरमाटी बोलीभाषार स्वतंत्र अस्तित्वेर एकमेव ओळख छ,तो पच् गोरमाटी बोलीभाषार ये स्वतंत्र ओळखीनं आन् ओरे प्रकृतीनं खल जू ओर मालकीर स्वतंत्र पोसक लिपी का न् रेणू..? 

             भाषा ई एक सामाजिक संस्था छ.ये समाजिक संस्थाती समाजेर जडणघडण वेती रच्.समाजेर जडणघडणेमं "कथनी'रो (बोलीरो) जतरा मोलेरो वेटो रच्;ओतराज मोलेरो वेटो "लिपी'रो भी रच्.बोलीभाषार लिपीर निवड करतूवणा ओ बोलिभाषिक समाजेनं राष्ट्रीय पातळीपं एक संघ हूबो करेर क्षमता ओ लिपीम रीये कांयी येरो विचार वेणो गरजेर रच्. 

         म देवनागरी वा कुणसी स्थानिक अधिकृत लिपीरो विरोधक छेई.म सोता पदरमोड करनं देवनागरी लिपीमं गोरमाटी बोलीभाषार पुस्तक लकन प्रकाशित करमेलो छू.महाराष्ट्र राज्य छोडन भारेर कुणसीज राज्येर गोरमाटी बोलीभाषकेनं देवनागरी लिपीमाईरो गोरमाटी बोलीभाषा सायीत्य वाचतू आयेनी.हाजारो रपीया खरचा करन समाजेर कांयी फायदो कोनी हूवो.मार लकणी जर सकल गोरमाटीनं संघटीत करेमं असमर्थ जर ठरती वीये तो ऊ लकणी कांयी कामेर..?ई प्रश्न निर्माण वच्

मज कोनी तो मार सरीक वणान सब्द सैनिक पदरमोड करन देवनागरी लिपीम गोरमाटी बोलीभाषा सायीत्य लकन प्रकाशित करमेले छ,ओनेर भी देवनागरी लिपीमाईर गोरमाटी बोलीभाषा पुस्तकेनं घरेम आदोयी लागरी  छ.ओनेर भी ईज रोणो छ. 

          वारसेक गोरमाटी बोलीभाषार अभ्यासक रातदन एक करन गोरमाटी बोलीभाषार स्वतंत्र लिपी निर्माण करमेले छ. 

          भागा नंगरीर "बंजारा भाषा संमेलनेमं" देवनागरी लिपीर ठराव पास करतूवणा देवनागरी लिपीम गोरमाटी बोलीभाषा सायीत्य लकन प्रकाशित करेवाळे लेखक कवी आन् लिपीर संशोधक येनेर भी अनुभवेर दखल लेन सादकबादक चर्चा घडान लिपीरो निर्णय लेणो ई गरजेर रं. 

             मनं "सायीत्य अकादमीर" विरोध छेई तो सायीत्य अकादमीर दिशाभूल करेवाळेर विरोध छ. 

         गोरमाटी बोलीभाषिक गणसमाजेर नानीमोटी संघटना छ,अभ्यासू वचारी,सायीत्यीक आन् राजकीय नेता भी छ.येनेर सेर समाजेर जडणघडणेमं मोलेरो योगदान छ.येनेर सेर मळाव भरान गोरमाटी बोलीभाषार लिपीरो सर्वसंमत निर्णय लेणू वाजवी ठरेवाळो रं. 

          राष्ट्रीय पातळीपं गोरमाटी बोलीभाषिक गणसमाजेरो एक मजबूत संघटन हुबो वेणू ई घणो गरजेर छ,ई एक लिपी सवायी शक्य छेई. 

           देवनागरी लिपीम गोरमाटी बोलीभाषा सायीत्य लकन,प्रकाशित करेवाळे लेखक,कवी,लिपी संशोधक येनेनं बगल रकाडन लिपीरो ठराव पास करणू ई ओनेर परिश्रमेपं आघात छ... ओनेनं निरुत्साही करेरो ई एक षडयंत्र छ..! 

            भाषा ई केरी खानगी मालमत्ता छेई जू ओ भाषार लिपी भी केरी खानगी मालमत्ता रेयेनी. 

          जे गोरमाटी बोलीभाषा सायीत्य देवनागरीम लकन एक भी पुस्तक प्रकाशित कीदे कोनी आन् देवनागरी लिपीम गोरमाटी भाषानं लिपीबद्ध करतू भी आयेनी आसे लोक देवनागरी लिपीरो ठराव पास करच् जना दक वेणू साहजिक छ.(जे देवनागरी लिपीमं सायीत्य प्रकाशित करमेले छ.ओनेर नवण..!) 


         "म समायेर बाद मार मट्टीर सोबत देवनागरी लिपीमाईर प्रकाशित गोरमाटी बोलीभाषा सायीत्य संपतीर भी "मट्टी" वेणू ई आमना...!!"



              *भीमणीपुत्र*

     *मोहन गणुजी नायक*

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