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गोरमाटी बोलीभाषा र चेष्टा


 

*काकडवांदा-*


*गोरमाटी बोलीभाषार चेष्टा?*


गोरमाटी बोलीभाषिक गणसमाजेरी बादभरी संघटना,नेता जेता कनं समाजेर  मूलभूत विकासेर निश्चित भूमिका छेई..अजेंडा छेई.. सकारात्मक धप छेई से दिशाहीन छ.सायीत्य आन् धार्मिक चळवळ भी येनं आपवाद छेई... सेर मातेमं राजकारणेर कीडा वळवळ कररे छ..! (आपवाद छ जेनं नवण!) 

            सामाजिक,राजकीय,धार्मिक आन् सायीत्य ये से दिशाहीन चळवळी ये कनायीज गोरमाटी बोलीभाषिक गणसमाजेनं ओर याडी भाषानं घटनात्मक संरक्षण मळान दे सकेनी.

             स्वातंत्र्य मळन आज ७५ साल वेगे तरी समाज आन् ओरे याडी भाषानं आजेताणू केनी घटनात्मक सेड्युल मळातू आयो कोनी.ई समाजेर कवडी मोट फसवणूक छ? 

           आजकाल तो कोयी भी उटसूट "गोरमाटी बोलीभाषारो प्रश्न संसद सत्रेरे शुन्य तासिकामं मांडेर आश्वासन देते हींडरे छ".

          संसद सत्रेरे शुन्य तासेमज का? संसदेरे शुन्य तासिकामाईर प्रश्नेर उत्तर देणू ई संबंधित खातेर मंत्रीन् बंधनकारक रेयेनी.

            जे खासदार गोरमाटी बोलीभाषारो प्रश्न संसद सत्रेर शुन्य तासिकामं उपस्थित करमेले छ,ओनेनं संबंधित खातेर मंत्री लेखीमं कांयी उत्तर दीने?वा दीने क्,कोनी ई भी कळेनं मार्ग छेई.कळेपं आंगेर धप वटातू आये. 

             गोरमाटी गणसमाजेर आन् गोरमाटी बोलीभाषार नामकरणेरो निश्चित आसे एक नामेरो डाटा शासने कनं उपलब्ध छेई तरी भी ये नेताजेता "कुणसे समाजेर कुणस बोलीभाषानं"संसदेरे ८ वी सूचीर समावेश करेर आश्वासन देते हींडरे छ? 

            न् शासने कनं गोरमाटी बोलीभाषिक गणसमाजेरो आन् भाषारो एक डाटा..??? 

         आसे हालतेम भी याडी भाषारो राजकीय भांडवल करते हींडरे छ... आरे थु: तमारे नकली भाषिक अस्मितापं आन् नकली सामाजिक बांधिलकीर हेजेपं...!!

           बोलीभाषारो अभ्यासक डॉ.श्रीकांत काकडे मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय (२०२०) आयोजित एके कार्यक्रमेमं "बोलीभाषांचे भवितव्य" ये विषयेर व्याख्यानेमं बोलतूवणा केमेलो छ क्, "बंजारा,वडारी,कैकाडी,कोरकू" ये बोलीभाषानं बोलेवाळेर संख्या  लाकेती उपर रेताणी भी २०११ सालेर जनगणनेनुसार केवळ "भिल्ली,गोंडी,कोलामी" येज भाषार दखल लेयेम आयी छ"येमाईर कुणसीज बोलीभाषारो समावेश घटनारे ८ सूचीमं हूवो कोनी छ.ये सेज बोलीभाषारो अस्तित्व धोकेम,नू भी खंत व्यक्त करमेलो छ. 

            २०११ सालेर जनगणना आहवालेमं "बंजारा/गोरमाटी" भाषार नोंद छेई ई स्पष्ट छ. 

        गोरमाटी बोलीभाषार मंणेर कडापेम भी तथाकथित  मंडळी गोरमाटी बोलीभाषारो राजकीय भांडवल करन गोरूर याडीभाषार चेष्टा करतू दकारे छ...ई शोकांतिका छ...!! 

           गोंडी,भिल्ली,कोरकू ये भाषार नोंद संख्यात्मक डीलेती मातृभाषा करन वेगी छ.सवार गोंडी,भिल्ली,कोरकू ये बोलीभाषार सेड्युलेसारु संविधान संशोधन बिल संसदेमं आयेवाळो ई स्पष्ट वेगो छ..!! 

           संख्यात्मक डीलेती बंजारा वा गोरमाटी बोलीभाषार नोंद मातृभाषा करन शासन दप्तरी आजीहाल वेयेरज छ. 

           जे बोलीभाषानं बोलेवाळेर संख्या दस हाजारेर हेटं रच् ओसी बोलीभाषार नोंद जनगणनार आहवालेमं वेयेनी,आसी बोलीभाषा "कचरेर ओल्डीम" रच्.ई वात गोंडी,भिल्ली,कोरकू समाजेनं कळगी;पणन् गोरमाटी बोलीभाषिक गणसमाजेनं कळी कोनी;वाचन संस्कृतीरो अभाव,नकली भाषिक अस्मिता,नकली सामाजिक बांधिलकी ये भी ये से वाते गोरमाटी बोलीभाषार आन् समाजेर दुरवस्थानं कारणीभूत छ...!!!


*भाषारो विकास;ओ भाषिक समाजेरो विकास!*


              *भीमणीपुत्र*

     *मोहन गणुजी नायक*

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