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*'हिंद--ए--रत्न*' *_मल्लुकी बंजारण_


 *अप्रकाशित ग्रंथ* 

 _गोर बंजारों का स्वर्णिम इतिहास खंड-(०१)_ 

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 _किताबका अंतरंग_ 

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*रायटर डॉ. अशोक पवार*

डॉ. *सुनिता राठोड -पवार** 

*दिलराज बंजारा*

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✍याडीकार,पुसद*

*📞9552302797*

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 *" _मलुकी मिली अकबर* 

 *बादशहा को।* 

*जिह बेटी कही बिठलाई।।*

*धडा पनसेरी काठ करोडा।*

*सोला जातीओ में सन्मान कराई।।*_ 

 _*तामपत्र हिंद-ए-रत्न उपरतही बादशहा,से सौंगध लिखाई।*

*निशान नंगारा सोला_ जाती में।*

**मलुकी रागडी लिहाई.।*

मुख पृष्ठपर सजी कडीया है ,

 *हिंद-ए-मल्लुकी* के शोध ग्रंथकी!

 *लेखक *डॉ. अशोक पवार और डॉ. सुनीता राठोड पवार*तथा सहयोगी  दिलराजबंजारा* के शोध ग्रंथ की!

पवार दाम्पत्याको

 भारत भर में ढेर सारे पुरस्कार मिल चुके है।। *आंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजी हुयी यह  साहित्य क्षेत्र में की प्रथम जोडी है.।।*

इतनाही नंही डॉ. अशोक पवार राष्ट्रीय बंजारा साहित्य परीषद पोहरागड के अध्यक्ष चुने गये थे. जिन्होने  संत सेवालाल महाराज की गोर धर्म की  संत  के विचार पर आधारित विज्ञानवादी प्रतिज्ञा भी रची है। वह प्रथम प्रष्ठपर स्थापीत की है!

  *डॉ. सुनिता राठोड-* पवार ,जिन्होनी नागपुरकेअखिल भारतीय गोरबंजारा साहित्य संमेलन की अध्यक्षता भी की है।।

 यह भारत में की साहित्य क्षेत्र में की ऐसी जोडी है। जिनोंने अभीतक बहोत सारी अच्छी किताबें हिन्दी, मराठी, इंग्रजी  भाषामें आंतर्विद्याशाखिय दृष्टीकोन से  लिखी हुयी है.। 

इसलिए यही जोडी को *आंतरराष्ट्रीय रशियन ग्ल्लोबल अचीव्हर्स* फांऊडेशन की औरसे *नोमड्स* इस ग्रंथ को  बेस्ट  रायटर का  किताब अलमटी कजाकिस्तान को 18 एप्रिल को मिला है.। 

इसके पहले इस पवार रायटर जोडी को अग्णिशिखाका हिंदी साहित्य का  *बंजारानामावली* किताब को *आंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान हुआ है.। वह ऐसे आंतरराष्ट्रीय समारोह के प्रमुख अतिथी के रुपमेभी निंमत्रीत थे!

जिस समारोह में  सरकार द्वारा नियुक्त हिंदी साहित्य अकादमी के देशभरके प्रमुख अध्यक्ष तथा डॉ.शितलाप्रसादजी    भी मौजुद थे!


 *जिप्सी बंजारा पूर्वी कौन थे?,* *जिप्सी इंडिया, आश्रम स्कूल* , **रेणके कमीशन*वस्तुस्थिती तथा विपर्यास ,बंजारा जमाती  दशा और दिशा, बंजारा समाजकी लोकसंख्या और दारीद्रता, भटक्या लोगोंकी जनसंख्या,

 आदी संशोधन पर किताबे प्रकाशित हुयी है.।वह आंतरराष्ट्रीय स्तरपर जर्णल विभाग में इस जोडी के ढेर सारे समितीओपरभी नियुक्त है!

जिन्होने ढेर सारे शोधनिबंध तथा शोधप्रंबध प्रसिद्ध  कितें हुये है.।। 

सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक कार्य में यह पवार जोडी हमेसा आगे रहतीहै.।

*तिसरे रायटर दिलराज बंजारा* को आँल इंडिया बंजारा सेवा संघ गुजरात से राजस्थान गौरव सन्मान से सन्मानीत किया गया है.।

 भारतवर्ष में गोरबंजारा लोगोंकी ढेर सारी शुर विरता की,योद्धाओंकी  दिल को धडकानेवाली कहाणीया है.।। 

मगर गोरबंजारा जनजातीओं का गौरवशाली परंपरा और इतीहास बहोत कम लिखा गया है.। 

इस बात को मुद्धे नजर रखते हुये *डॉ. अशोक पवार, डॉ. सुनिता राठोड-पवार  और दिलराज बंजारानें* खुबसुरत ,दिलोकी धडकन बंढानेवाली,एक रोंमाचभरी ,साहस कहाणी..  *हिंद-ए-रत्न मल्लुकी बंजारण*  किताब लिख कर गौरवशाली शुर मरदानी मल्लुकी का इतीहास तमाम गोरंबंजारा लोंगोके सामने रख दिया है.। 

 यह किताब चंद दिनोमें 24 by 7 publishing KOLKATA..west-Bengal से गोर बंजारों के  *स्वर्णिम इतिहास के दस खंडोमे एकसाथ* प्रकाशित होनेवाली है.।

380 पेज वाली यह किताब बल्लुराय बंजारा से *अकबर बादशहासे तिन युद्धो के बलिदान का स्वर्णिम इतीहास है* .।( *इ.स. 472--इ.स.1734)*

कथा की नाईका मल्लुकी बंजारा के पिताश्री बल्लूराय बिंजरावत इतिहास में  हेमचंद्र विक्रमादित्य बंजारा के पश्चात मोघलोको कूल पाच युध्दोमे अकबरके मिरजामिर,मेहरमखा, मुर्तूजा खा जैसे सरसेनापती को मारनेवाला सबसे ज्यादा उम्रवाला (९४) विर यौध्दा था! 

हमारा यह इतिहास छिपाया गया है!

इस किताब में दासमल्लुकी गोरबंजारा प्राचीननम वंश का इतीहास से लेकर -- गोरपंचायत द्धारा सुखमांडण की शादीका हुकुमनामा ऐसे 22 अध्यायके साथ आलग आलग विभागों में बाटा गया है! यह किताब कडी मेहनत,हर जगावोपें जागर भेट करना,और अभ्यास पुर्ण तरीकसे लिखी गयी यह केवल बंजारों के नहीं अपितु वह घुमंतु रियाशतोकी एक अद्भुत किताब है.। 

हर पेज पर संदर्भोसहित गोरबंजारा की शुरता,धैर्य, और विरता मालुम पडती है.।

डॉ. अशोक पवार और.डॉ सुनिता राठोड -पवार इनोंने पिछले बाईश वर्षोसे  दस खंडोमें गोरबंजारा जमातीका सांस्कृतिक स्वर्णिम इतीहास प्रकाशित करणेका महत्त्व पुर्ण प्रयास हात में लिया है.।

 *जिन्दा या मुर्दा* 

मोघलोने पाचशो वर्ष पुर्व इ.स.१५९१-९३ को बल्लुराय पवारपर इनाम विस हजार सोनेकी मोहरे देनेका ऐलान कर रखा है!बाबर,हुमांयु,शेरशाहँ.सुरी,हेमु राठोड देवडी(रेवाडी) के देवशोत बंजारा,इस्लाम शहा सुरी, ,आकबर, औरंगजेब, जंहागींर, शाहजँहा, और ढेर सारी बाते से तो मल्लुकी बल्लुराय बिंजरावत तथा मांनसिंह पवार के वंशावलीका प्राचीनतम इतीहास ऐसी बहोत सारी घटनाओंका विस्तृत विंवेचंन इस किताब में बडे खुबीसे लिखा गया है.।।

*कौन है वो इतीहास विंरगना ? वह है रूहाणी ताकत की बंजारोंकी घुंमतु रियासतोकी राजकन्या *मल्लुकी बंजारा* ! 

जिन्हे लेखकोने  स्वर्णिम इतीहासका नाम दिया वह उचित तथा यथार्थ है! 

 गोरवंश के राजाभोज के बाद २२ वी पींढीमें बिंझा से बने बिंजरावत के खानदान में सन १५०१- में जन्मे  राव मुल्ला के चौदह बेटोमेंसें बडे बेटे बल्लुराय थे.।।  बल्लुराय को बारा बेटे और तेरहवी संतान मलुकी एक सुपुत्री *सुरजकी उनहारी* थी.। 

मलुकी सौंदर्य से लथपथ,वीरगंना,साहसभरी,बुद्धीमान लडकी थी।जिसे अकबर बादशहा शादी करणा चाहते थे.।। 

रामसिंह कपाडीयाने १९६३ में प्रकाशित किये ४९ पेज दस्तावेज पर आधारित भोजपुरी भाषा के कथा वस्तू में  इसका बहोत सुंदर  वर्णन दिया है.।।वह इतिहास में लूप्त हो गया था! जिस को ३८०पन्नोमे उजागर कर पवार दाम्पत्य ने महत्त्वपूर्ण शोध कार्य की या है!

*"उमर शक्ती की अठराह सालकी*

*बोलत मुंहे झडे फुल फवार*

*वो लडकी है दास मलुकी*

*ऐसी राज घरेंमें भी देखी नाय।।*

*बेटी है वह गजराज नायक बल्लुकी.।।*

यह सुनकर अकबर बादशहानें मलुकी को पाने के लिए दरबारमें जागीर देनेका ऐलान ठोक दिया.।

*लगी कचहरी थी अकबर की*

*जिसमें हुकुम दियो कराय,।*

*जो कोई लावे दास मल्लुकी*

*गाँव जागीर बारा हजार की देवु करवाय।*

*उपर अफसर देवु बनवाय.।।*

लेकीन बंजारो की एकता,साहस,निर्यभयता और चतुराई से बादशहा को हार माननी पडीं। बल्लुराय बिंजरावत को गजनायक(महानायक) की उपाधी थी। 

सभी बणजारोंने मिलकर फैसला किया हम अकबर बादशहा से मलुकी की शादी किसी हालातमें नहीं कराएंगे.। चाहें हमारा वंश नष्ट  क्युं न हो जाए.।

यदि हम अकबर बादशहा से मलुकी की शादी करा देंगे तो हमारी अगली सात पिढीयाँ कंलकित हो जाएगीं! हमारे जिवन तो धिक्कार हो जाएगा।

मोहरम के बाद मलुकी को पाने के लिए दिंसबर 1591  और फरवरी 1592  में अकबर बादशाहा ने दो लढाईयाँ लढी। 

प्रथम बार 12000  हजार और.दुसरी बार 24000 हजार की फौज मिरजाफर और मेहरखाँ सेनापती के साथ भेजी थी.।। दोंनो लढाईयाँमे बादशहा अकबर के  सेनापती बल्लूराय बिंजरावत के हातो हारे और मारे  गये .। 

जिसमे अलंग अलग सोलह आदिवासी जातीयोकें विर यौध्दा ने भाग लिया था! *विस्वके बावन बिर्हाडके नायकोनेभी तन,मन,धन,तथा बलीदान के साथ साथ दिया था!* 

दोनो पक्ष को काँफी नुकसान झेलना पडा.।। *मल्लुकी बंजारा का भाई माधोदास मारा गया!* अकबर बादशाहा ने बणजारो के व्यापार पर हर तिन.कोस पर चुंगी लगा दीया,उससे बणजारोंका व्यापार बैठ गया.।।

अहिंसात्मक विचार धारा की 

मलुकी ने विस्वके बिस बेपारी को साथ लेकर कुटनितीसे दिल्ली दरबार पोहंचती है.।।दिल्ली दरबार मे मलुकी और बादशहा अकबर का कुटनितीभरा विचार तथा, महत्त्व पुर्ण संवाद गोर बंजारों को बहुतशारी शिख देता है. 

  मल्लुकी का बंजारा बेपारीयोंका असहयोग तथा अकबरो पिताश्री का दर्जा भर दरबारे में नवरत्नोके उपस्थित में देती है!

 यह सब पढने लायक है.।। यह किताब पढंते पढंते दिलो की धडकने बढती जाती है.।। 

ऐसा यह रोंमाचंकारी किताब हर इतीहास, संशोधक प्रेमीने जरूर पढंना चाहीए.।।

अखिर अकबरने  मलुकी को धरम बेटी मानकर विदा किया गया  यह मलुकी का भारतीय  इतीहास का अनदेखा पहलु है!

 मा *.जयराम पवार इनके मलुकी...अकबर का अधुरा सपना इस *१२५पृष्ठकी किताब में कुछ पहले आया है.।।मगर बहोत विस्तृत टिपणी के साथ पवार दाम्पत्य ने *हिंद-ए-रत्न मलुकी बंजारण*  ये कितांब मे सारा रोमांचकारी ढंगोसे दिया गया है.।।

आखीर में मलुकी  अपनी चाचाकी बेटी से विवाह!

 हरीराय बाणौत का बेटा सुखीया मांडण के साथ बंडे धुमधामसे  बल्लुराव नायक के ताण्डे में सपन्न करा देती है.।।

कुल120 हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, फारशी, बंजारा, भोजपुरी,मालवी,मोडी, ईराणी तथा पंजाबी आदी भाषाओंके संदर्भ ग्रंथोके आधार दिये है! 

 इतिहासकी हर कडीओको जोडकर गोरबंजारोका ऐतिहासिक शोध विस्वके सामने सजाकर रखा गया है!

गोर बंजारों की लदेणी अर्थव्यवस्था तथा *२४७२वर्षेके वंशावलीका का इतिहास शेकडो* संदर्भ सहित रखा गया है!

 *राजभोज के वंश का बंजोरोके साथ क्या रिस्ता था?* 

यह अधुरी जानकारी हमे, हमेशा जानकारी हाशिल करने को विवश करती थी!

 *उश विवशता को शोधकार्य के जरीये उन्होंने शिध्द किया है!* पवार दाम्पत्य ने गोर बंजारों का स्थाई राजाभोजके रियासतोका ,घुंमतु रियासतोसे  सामंतके तौरपर रिस्तानाता रहनेकी बात  सप्रमाण उजागर की है!

यह वास्तविकता  उन्होंने हमारे सामने रखकर बडा योगदान दिया है!

 *गोर बंजारा नातो राजपुत, ना हिंदू ,वह तो धनी, दानी, न्यायदाणी तथा बलीदानवाला* स्वतंत्र अस्तित्ववाला सेवा धर्म रहनेकी बात की है!

कुल दस खडकी शिर्ष कडी *,'हिन्द-ए-रत्न* '

 *मल्लुकी बंजारण** ,एक अनुठी रचनात्मक शास्त्रीय ऐतिहासिक भुमिका सराहनीय है!

और भी महत्त्वपूर्ण उपलब्धी यह है की, आंतरराष्ट्रीय किर्ती के *भाषाशास्त्री डॉ.गणेशी देवी धारवाड* इन्होने  इस ऐतिहासिक कडीकी भुमिका लिखी है! 

 *यह बंजारा *इतिहासकार के लिये बडे गौरवकी बात है! उन्होंने यह अधोरेखित* किया है की,

टोडके इतिहासकी* सुधारीत आवृत्तीका स्वरुप गोरबंजारोका स्वर्णिम इतिहासलेखनके  हक्कदार डॉ पवार दाम्पत्य है! आदी यह कार्य दस खंडोमें गोरबंजारोंका इतिहास पुरा होता है तो यह भारत वर्ष के हिंदी साहित्य इतिहास में बडी उपलब्धी है!

यही  बल्लुराय नायक की बेटी दास मल्लुकी का साहस और निर्यभयता का यह विरागंना का इतीहास डॉ *. अशोक पवार डॉ सुनिता राठोड–पवार और दिलराज बंजारा को मै अभ्यास पुर्ण लिखनें* के लिए में तहदिलसे धन्यवाद देता हुँ.।।

दिलराज बंजारा इस शोधग्रंथके कथानको फिल्मरहे है!

*ऐसे रोंमाचंकारी ग्रंथ को पढंकर भारतीय हर नारी सचमुच मल्लुकी के धैर्य,साहस विरता को अपनाकर अपना जिवन सफल करेगीं ऐसी आशा..👏👏 रखता हुँ.।।*


....... *जय मल्लुकी.।।* 

*✍याडीकार,पुसद*

*📞9421774372*

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