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टांढो लदणी गहुली 5/12/2023 से दिल्ली 12/12/2023 क्यूं


 टांढो लदणी गहुली 5/12/2023  से दिल्ली 12/12/2023 क्यूं


*बंजारा समाज के कुछ जातीय श्रेष्ठता के अहंकार वालोंने और स्वार्थी राजनेताओं ने सजातीय गणगोतो को संविधानिक हक्क से वंचित रखा!* य सत्य इतिहास है.

स्वार्थी राजनेताओं ने आपने नीजी राजनीतिक स्वार्थ और धन कमाने के लिये आपने गरीब समाज को बारबार धोका दिया है. ऐसे धोकेबाज लीडर से समाज को सतर्क हो जाना चाहिए और इन तथाकथित उनकी सही जगा दिखा देनी चाहिए.

वर्ण व्यवस्था के अनुसार जाती की श्रेष्ठता के लिए कोयी विशेष नैसर्गिक गुणसंपदा की जरुरत नही होती. जन्म से क्षत्रिय जाती विषेश के लोगों पर अंध विश्वास के कारण  संरक्षण के मामले मे निरभर रहे तो नतीजा क्या होता है य हम भलीभांति जान ते है.इस वजह से भारत वर्ष को सातसों सालोंकी गुलामी सहनी पडी थी. उसी तरह हमारे भी वंशज क्षत्रिय है और हाम भी क्षत्रिय है कहने वालों कि वजह से हामारे गोरगरीब बंजारा समाज को संविधानिक हक्क आधिकार से हात धोना पडा. जिस तरह युद्ध करने वालें सभी क्षत्रिय होते ही है, फिर ओ आदिवासी हो, बहुजन हो या फिर युद्ध कला मे मायीर कोयी भी हो लेकिन उसे वर्ण व्यवस्था के मनुवादी नियमो के आधार पर जन्म से जो क्षत्रिय है वह दर्जा प्राप्त नहीं हो शकता फिर वह महान प्रतापी योद्धा आला उदल ,जयमल फता,गोरा बादल या फिर छत्रपती शिवाजी महाराज ही क्यूं ना हो. कोयी भी प्राकर्मी गुण नही हो तो भी सिर्फ जातीय श्रेष्ठता के नामपर सत्ता हडप करने की य सजीस है. बंजारा समाज को ऐसा कोयी अमानवीय क्षत्रिय वर्ण का दर्जा प्राप्त ना होने के बावजूद फूकटे मे सिर्फ बे फिजूल झूठी असंविधानिक प्रतिष्ठा के लिए आपना संविधानिक हक्क खोया है. इसके जिम्मेदार नासमझ झूठे तथाकथित लोगों ने तत्कालीन मध्ये प्रांत के मंत्री तथा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री वसंतराव जी नाईक साहेब की एक ना सुनी. इसके बावजूद नाईक साहेब ने दो बार लोकसभा मे अनुसुचित जनजाती आरक्षण के लिए कोशिश की लेकिन कामयाबी नही मिली कारण एकही था वक्त और सवर्ण जाती विशेष का राजकीय विरोध .1952 से 1967 और 1973  पंधरा  बीस साल का वक्त और राजकीय परस्थिती मे बदलावं के कारन कामयाबी नही मिली.

  आज पचास साल के बाद राजकीय हालात  जैसे के तैसे है. बंजारा समाज अनुसुचित जनजाती मे समाविष्ट होने लिए जो सामाजिक शैक्षणिक आर्थिक पिछड़ा पन, स्वतंत्र संस्कृती, स्वतंत्र भाषा, अलग थलग टांढा सिस्टम सभी क्रायटेरीया फूलफिल करतें है. इसलिये तेलंगणा, आंध्र, ओडीसा, बिहार और पुर्वी भारत मे बंजारा तत्सम जमात अनुसुचित जनजाती की सुचि मे है. महाराष्ट्र, एम पी,गुजरात, राजस्थान, यु पी और    अन्य कुछ राज्यो मे सिर्फ ओबीसी मे है. 

  इसलिये भारत देश के सभी बंजारा तत्सम को संविधानिक हक्क आधिकार के लिए *टाढा लदणी* गहुली से दिल्ली 5/12/2023 से 22/12/2023 का आयोजन किया है.

  *सभी बंजारा भायी सगा को आह्वान है की, आपनी धाटी  संस्कृती , वाणी भाषा, टांढो पंछायत, टांढा सिस्टम, पेनेबाज संस्कार वीया वदायी, सण सणसूत सणवार सणतेवार जीवित करणे,संविधानिक हक्क आधिकार की लढाई लडने सम्मिलित हो और आप हर तरह का सहयोग करें*

राधेशाम मोवन आडे बांणोत पनवेल नवी मुंबई

मु. बेलदरि ता महागाव जिल्हा यवतमाळ महाराष्ट्र

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